ICSE Hindi 2019 Paper Solved Previous Year for Class 10

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ICSE Hindi 2019 Paper Solved for Class 10

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ICSE Hindi Previous Year Question Paper 2019 Solved for Class 10

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  • This paper comprises of two Sections – Section A and Section B.
  • Attempt all questions from Section A.
  • Attempt any four questions from Section B, answering at least one question each from the two books you have studied and any two other questions.
  • The intended marks for questions or parts of questions are given in brackets [ ].

SECTION – A  [40 Marks]

(Attempt all questions from this Section)

Question 1.

Write a short composition in Hindi of approximately 250 words on any one of the following topics : [15]

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिंदी में लगभग 250 शब्दों में संक्षिप्त लेख लिखिए :
(i) आपके विदयालय में एक मेले का आयोजन किया गया था। यह किस अवसर पर, किस उद्देश्य से किया गया था ? उसके लिए आपने क्या-क्या तैयारियाँ की ? आपने और आपके मित्रों ने एवम शिक्षकों ने उसमें क्या सहयोग दिया था ? इन बिंदुओं को आधार बनाकर एक प्रस्ताव विस्तार से लिखिए।
(ii) यात्रा एक उत्तम रुचि है। यात्रा करने से ज्ञान तो बढ़ता ही है, स्थान विशेष की संस्कृति तथा परंपराओं का परिचय भी मिलता है। अपनी किसी यात्रा के अनुभव तथा रोमांच का वर्णन करते हुए एक प्रस्ताव लिखिए।
(iii) ‘वन है तो भविष्य है’ आज हम उसी भविष्य को नष्ट कर रहे हैं, कैसे ? कथन को स्पष्ट करते हुए जीवन में वनों के महत्त्व पर अपने विचार लिखिए।
(iv) एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका अंत प्रस्तुत वाक्य से किया गया हो-और मैंने राहत की साँस लेते हुए सोचा कि आज मेरा मानव जीवन सफल हो गया।
(v) नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर उसका परिचय देते हुए कोई लेख, घटना अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट संबंध, चित्र से होना चाहिए।

Answer

(i)  विद्यालय में मेले का आयोजन

इस महीने की 7 तारीख को हमारे स्कूल सभागार में एक विज्ञान मेला आयोजित किया गया था। इसका उद्घाटन जिला शिक्षा अधिकारी ने किया था। प्रदर्शन पर 120 से अधिक आइटम थे उनमें से ज्यादातर मॉडल काम कर रहे थे प्रत्येक मॉडल ने कुछ वैज्ञानिक कानून के व्यावहारिक अनुप्रयोग में नवीनता और अभिनव दिखाया है। हर कोई इस प्रदर्शनी को देखने के लिए मोहित हो गया था। छात्रों ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रत्येक मॉडल का तंत्र। दोनों, छात्रों और शिक्षकों ने इस मेले को सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी उनके प्रयासों की सभी उपस्थितियों ने सराहना की।

इन दिनों विज्ञान, शाप और वरदान दोनों ही है। एक तरफ, उसने हमें परमाणु बम की तरह बड़े पैमाने पर विनाश के हथियार दिए हैं। दूसरी तरफ, इससे अनगिनत लोगों को आशा मिली है जो बीमार हैं और मर रहे हैं। अंधेरे युगों के दौरान ऐसी स्थिति थी कि लोग क्षय रोग, मलेरिया, ऊष्मा खांसी, खसरा इत्यादि जैसी बीमारियों से मर गए। उनमें से किसी के लिए कोई इलाज नहीं था और न ही वहां सक्षम चिकित्सा सुविधाएं भी थी।

अस्पताल अंधेरे और सुस्त जगह थे हर कोई यह नहीं जानता था कि गंदगी में भी बीमारियां पैदा होती हैं। कई लोग जो अन्यथा बच सकते थे, मर गया क्योंकि परिवहन बहुत धीमा था| इसके परिणामस्वरूप देर से पहुंचने वाले डॉक्टर फिर व्यापक रूप से विश्वास किया गया था कि किसी व्यक्ति की बीमारी किसी भी रोगाणु या संक्रमण के कारण नहीं होती है, बल्कि इसलिए कि कुछ भूत या बुराई उन पर छाया रखती है। जब तक विज्ञान की प्रगति लोगों को सफाई के महत्व का एहसास नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि आज हम उज्ज्वल और हर्षित दिखने वाले अस्पताल पाते हैं। इसने सिद्धांतों को गलत साबित कर दिया है कि एक व्यक्ति बुराई या भूत के कारण बीमार हो गया है।

परिवहन के तेजी से तरीकों का आविष्कार, जिसमें डॉक्टर को बुलाया जा सकता है, एक्स-रे, वैक्सीन, और मॉडेम ऑपरेटिव विधियों की खोज, एक इंसान के अस्तित्व की संभावना में सुधार हुआ। पेनिकिलिन, रक्त आधान, उच्च तीव्रता इंजेक्शन और तरल पदार्थ स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक और आयाम जोड़ा। हालांकि, सबसे उल्लेखनीय खोज सर्जरी के क्षेत्र में हैं अब एक सर्जन टूटी हुई हड्डियों को ठीक कर सकता है, फाड़े शरीर के अंगों को उंगलियों, पैर की उंगलियों, हाथों और पैरों की तरह बदल सकता है। एक अंधे व्यक्ति एक नई आंख की मदद से देख सकता है। और गुर्दा की विफलता वाला एक रोगी अब भी गुर्दा प्रत्यारोपण के साथ रहने की उम्मीद कर सकता है। फंककियर के अध्ययन ने भी मनुष्य को स्वच्छता के महत्व का पता लगाया है और अच्छी तरह से कस्बों और उपनिवेशों का पता लगाया है। व्यावहारिक वेंटिलेशन और धूप में पर्याप्त हमारे स्वास्थ्य के साथ अद्भुत काम कर सकते हैं। बड़े और वैज्ञानिक रूप से कटे हुए कचरा निपटान और सीवरेज प्रणालियों को बड़े पैमाने पर रोगों के प्रसार की समस्या कम होनी है।

(ii)  पहली यात्रा

मैं भी इस साल अप्रैल में अपने दोस्तों के साथ वैष्णों देवी की यात्रा पर गई थी। मैं वहाँ अपने परिवार के साथ पहले भी जा चुकी थी और हमनें बहुत ही मजे किए थे। दोस्तों के साथ यात्रा का और परिवार के साथ यात्रा का अलग ही मजा है। हम पाँच दोस्त थे और हमने रेलगाड़ी से यात्रा करने का तय किया था और उस समय रेलों मैं बहुत ही ज्यादा भीड़ थी। हमारी ट्रेन अंबाला से रात के 10 बजे की थी। ट्रेन के आते ही हम सब उसमें सवार हो गए और खाना खाया। हम सभी दोस्तों ने रात को लुडो खेला, अंताक्षरी खेली। जम्मु से ट्रेन के गुजरते वक्त हमनें खिड़किया खोलकर ठंडी हवा का आंनद लिया। हम सुबह 7 बजे कटरा पहुँचे जहाँ के पहाड़ों में माता वैष्णों देवी का मंदिर स्थित है।

हम लोगों ने वहाँ पर पहुँचकर हॉटल में कमरा लेकर विश्राम किया और एक बजे माता के मंदिर के लिए चढाई शुरू की जो कि 14 किलोमीटर की है। लगभग दो किलोमीटर चढ़ने के बाद हम बाण गंगा पहुँचे और वहाँ पर स्नान किया। गंगा का पानी बहुत ही शीतल था। उसके बाद हमने रूककर खाना खाया। वैष्णों देवी की चढ़ाई पर सुरक्षा के बहुत ही अच्छे इंतजाम किए गए है। बुढ़े लोगों की चढाई के लिए खच्चर और पालकी आदि का इंजाम है। बच्चों को और बैगों को उठाने के लिए पिठ्ठू वाले है। उनकी हालत बहुत ही दयनीय होती है वह अपनी आजीविका चलाने के लिए यह कार्य करते है। हम आस पास देखते हुए हंसते खेलते माता रानी का नाम लेकर चढ़ाई चढ़ते गए। दोपहर में गर्मी होने के कारण हम थोड़ी-थोड़ी दुरी पर नींबू पानी जूस आदि पीते रहे। ऐसे करते करते हम माता के मंदिर पहुँच गए और 6 घंटे लाईन में लगने के बाद माता रानी के दर्शन हुए। उसके बाद हमनें भैरों बाबा की चढ़ाई शुरू की जिसके बिना यात्रा को अधुरा माना जाता है। रात को बहुत ही ज्यादा ठंड हो गई थी। हमनें नीचे उतरना शुरू किया। कमरे पर पहुँच कर हमने आराम किया और वापसी के लिए ट्रेन पकड़ी। तीन दिन की इस यात्रा ने हमें बहुत ही सुखद अनुभव दिया जिसे हम कभी नहीं भूल सकते।

अपने विद्यालय की ओर से मैं अपने मित्रों के साथ शिमला गई I हमने बस से यात्रा की और यहां दिल्ली से सीधा चंडीगढ़ जाकर रुके I उसके बाद हम वहां से शिमला के लिए चल पड़े I शिमला जाकर हम एक होटल में रुके और वहां पर हमने नाश्ता किया और फिर घूमने निकल पड़े बस से हम कई सारी जगह जैसे मॉल रोड, जाखू मंदिर, क्रिस्ट चर्च और रिज गए I वहां पर हमने घुड़सवारी भी की और एक बड़े मैदान में हमने याक और घोड़ों को देखा वहां I वहां पर ऊंचे ऊंचे पहाड़ थे और बर्फबारी भी हो रही थी I वहां से सेबो का बगीचा भी दिखाई देता है जहां पर अच्छे बड़े-बड़े सेबो पेड़ों की टहनियों पर लदे हुए थे I हमारा यह सफर दो-तीन दिन में खत्म हुआ और हमने वापस बस से अपना सफर दिल्ली के लिए शुरू किया I

(iii) वनों का महत्व पर निबंध Forest Essay In Hindi

साधारण शब्दों में कहे तो जंगल (Forest) एक भूमि है जो घने पेड़ पौधों से भरी हुई है। इसमें जीव जंतु और विभिन्न प्रजाति के वृक्ष पाए जाते है। जंगल छोटा और बड़ा दोनों ही होते है। जंगलो में जीवो और पेड़ो में विविधता देखने को मिलती है। धरती की सुंदरता वनों से ही है। धरती पर हरियाली वनों के कारण ही है। प्राचीन समय में ऋषि मुनि जंगलों में ही तपस्या किया करते थे।

गर्मियों में तेज धूप से बचने के लिए पेडों की छाव तलाशी जाती है। पेड़ की अमृत रूपी छाया में आकर सुकून मिलता है। वनों में जीवों को भी यही सुकून चाहिए। वृक्ष जीवन के लिए जरूरी है और धरती पर ज्यादातर वृक्ष वनों में ही मिलते है। सोचिए अगर आपको रहने के लिए दो ऑप्शन दिए जाए, एक मरुस्थल और दूसरा वन तो आप किसे चुनेंगे। जाहिर सी बात है आप वन चुनेंगे।

पृथ्वी पर जीवन के लिए जंगलों का होना अति आवश्यक है। जंगलो के कारण ही धरती पर वर्षा होती है। शुद्ध हवा के लिए जंगल जरूरी है। जंगल कई जानवर और पक्षियों का घर है। मनुष्य स्वार्थी है और इसी कारण वह जंगलों को उजाड़ रहा है। लगातार हो रही पेडों की कटाई के कारण वनभूमि कम हो गई है। जंगल सिमट रहे है और शहर बढ़ रहे है।

  • जंगलों (Forest) में कई प्रकार के औषधीय पौधे भी मिलते है जिनसे आर्युवेदिक दवाइयां बनाई जाती है।
  • वनों को काटकर उसकी लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है। चीड़, देवदार जैसे वृक्ष वनों में ही मिलते है। लेकिन वृक्षो की अंधाधुंध कटाई गलत है, हमें इसे रोकना होगा नही तो परिणाम गंभीर होंगे।
  • वन पृथ्वी के वायुमंडल को संतुलित रखते है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करते है। धरती के वातावरण के तापमान को यह कम करने में सहायक है।
  • वनों की कमी होने से धरती पर कई नदियां सुख गई है और कई नदियों में पानी कम हो गया है। नदियों को बचाने के लिए वन संरक्षण जरूरी है।
  • पर्यावरण संतुलन के लिए वनों का संरक्षण जरूरी है। मनुष्य की जरूरत और निर्भरता वनों पर है।
  • वन मृदा अपरदन को रोकते है। भूमि के कटाव को कम करते है। इससे उपजाऊ भूमि बनी रहती है।
  • जनसंख्या विस्फोट के कारण निवास के लिए भूमि कम पड़ रही है। इसलिए वनों की कटाई होती है।
  • मनुष्य वनों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ लेता रहता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण इत्यादि से वन हमें बचाते है। वन पर्यावरण प्रदूषण के खतरे को कम करते है।
(iv) मानव जीवन सफल हो गया।

एक दिन घर आते समय मैंने एक खम्भे पर हाथ से लिखा एक नोटिस लगा देखा. उत्सुकतावश मैं पास गया और वह notice पढ़ने लगा.नोटिस में लिखा था – मेरे 50 रुपये इस सडक पर कहीं गिरकर खो गए हैं. अगर किसी को वो नोट मिल जाये तो मुझे इस पते पर आकर दे दें. मुझे आँखों से ठीक से दिखाई नहीं देता, आपकी बड़ी मेहरबानी होगी.

नोटिस पढ़कर मैंने सोचा – देखो तो दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए 50 रुपये इतना महत्व रखते हैं. खोजते हुए मैं नोटिस पर लिखे पते तक पहुँचा तो टूटी झोंपड़ी के बाहर एक कमजोर सी बुढ़िया को बैठे देखा.मेरे कदमों की आवाज़ सुनकर उस अशक्त बुढ़िया ने पूछा कौन है ?. मैंने कहा – अम्मा मैं आपको वो 50 रुपये देने आया हूँ, जो आपके सड़क पर गिर गये थे.

बुढ़िया ये सुनकर रोने लगी और बोली – बेटा ! करीब 30-40 लोग तुम्हारे पहले भी आ चुके हैं और मुझे 50 रुपये देकर बोलते हैं कि ये आपके सड़क पर गिरे 50 रूपये हैं.पर मैंने कोई नोटिस नहीं लिखा, न खम्बे पर चिपकाया. मुझे ठीक से दिखता नहीं और पढ़ना-लिखना भी नहीं आता.मैंने कहा – कोई बात नहीं अम्मा ! आप यह रूपया रख लो. फिर बुढ़िया ने मुझसे कहा कि मैं वापस जाते समय वो नोटिस वहाँ से हटाकर फाड़ दूँ.

वहाँ से लौटते समय मेरे मन में कई विचार चल रहे थे. जैसे कि आखिर वो नोटिस किसने लिखकर लगाया होगा ?बुढ़िया ने और लोगों से सभी Notice फाड़ने को कहा होगा, लेकिन किसी ने भी उसे हाथ नहीं लगाया.

मैंने मन ही मन उस भले आदमी का धन्यवाद किया, जिसने वो नोटिस लिखकर वहां खम्भे पर लगाया होगा.मुझे एहसास हुआ कि हमारे मन में Help की भावना होनी चाहिए, उसे पूरा करने के कई रास्ते निकाले जा सकते हैं. वो भला आदमी भी बस उस बुढ़िया की मदद करना चाहता होगा.

अपने ख्यालों में खोया मैं जा ही रहा था कि किसी ने मुझे रोका और कहा – भाई ये पता तो बताना जरा, मुझे किसी के गिरे हुए 50 रुपये देने हैं.दूसरों की मदद करने पर जो सुकून मिलता है वो मज़ा अपने मन की इच्छा पूरी होने में भी नहीं. क्योंकि खुद की तो एक  इच्छा जैसे ही पूरी होती है, उसकी जगह नयी इच्छाएं ले लेती है और पहले वाली ख़ुशी हमेशा बनी नहीं रह पाती.लेकिन किसी की मदद करने पर मिला संतोष हमेशा शांति देता है.

इस घटना ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी। उस दिन का वह सबक मेरे भावी जीवन में भी काम आएगा। इससे न मैं केवल एक सच्चा इंसान बन सकूँगा बल्कि भगवान के दिए इस अनमोल जीवन को दूसरों के काम में लगा सकूँगा। मैंने अपने हृदय परिवर्तन पर राहत की साँस ली और सोचा कि आज मेरा मानव जीवन सफल हो गया।

(v) चित्र प्रस्ताव : बाल मज़दरी या बाल-श्रम

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। ये एक दबावपूर्णं व्यवहार है जो अभिवावक या मालिकों द्वारा किया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करता है। इसके कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अनुपयुक्त विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से अस्वास्थ्यकर आदि।

इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है। ये किसी बच्चे के नियमित स्कूल जाने की क्षमता को बाधित करता है जो इन्हें समाजिक रुप से देश का खतरनाक और नुकसान दायक नागरिक बनाता है। बाल मजदूरी को पूरी तरह से रोकने के लिये ढ़ेरों नियम-कानून बनाने के बावजूद भी ये गैर-कानूनी कृत्य दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनता जा रहा है तथा जो देश के वृद्धि और विकास में बाधक के रुप में बड़ा मुद्दा है। बचपन जीवन का सबसे यादगार क्षण होता है जिसे हर एक को जन्म से जीने का अधिकार है।

बच्चों को अपने दोस्तों के साथ खेलने का, स्कूल जाने का, माता-पिता के प्यार और परवरिश के एहसास करने का, तथा प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का पूरा अधिकार है। जबकि केवल लोगों( माता-पिता, मालिक ) की गलत समझ की वजह से बच्चों को बड़ों की तरह जीवन बिताने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जीवन के हर जरुरी संसाधनों की प्राप्ति के लिये उन्हें अपना बचपन कुर्बान करना पड़ रहा है।

माता-पिता अपने बच्चों को परिवार के प्रति बचपन से ही जिम्मेदार बनाना चाहते है। वो ये नहीं समझते कि उनके बच्चों को प्यार और परवरिश की जरुरत होती है, उन्हें नियमित स्कूल जाने तथा अच्छी तरह से बड़ा होने के लिये दोस्तों के साथ खेलने की जरुरत है। बच्चों से काम कराने वाले माँ-बाप सोचते है कि बच्चे उनके जागीर होते है और वो उन्हें अपने हिसाब से इस्तेमाल करते है। वास्तव में हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये उन्हें अपने बच्चों को हर तरह से स्वस्थ बनाना चाहिए।

माता-पिता को परिवार की जिम्मेदारी खुद से लेनी चाहिए तथा अपने बच्चों को उनका बचपन प्यार और अच्छी परवरिश के साथ जीने देना चाहिए। पूरी दुनिया में बाल मजदूरी के लिए मुख्य कारण गरीबी, माता-पिता, समाज, कम आय, बेरोजगारी, खराब जीवन शैली तथा समझ, सामाजिक न्याय, स्कूलों की कमी, पिछड़ापन, और अप्रभावशाली कानून है जो देश के विकास को प्रत्यक्षत: प्रभावित कर रहा है।

Question 2.

Write a letter in Hindi in approximately 120 words on any one of the topics given below : [7]

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिंदी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए :
(i) आप अपने परिवार के साथ किसी एक प्रदर्शनी (Exhibition) को देखने गए थे। वहाँ पर आपने क्या क्या देखा ? वहाँ कौन-कौन सी चीजों ने आकर्षित किया ? जीवन में उनकी क्या उपयोगिता है ? अपना अनुभव बताते हुए अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखिए।
(ii) दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए जल संकट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए नगर पालिका के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए जिसमें वर्षा के जल का संचयन (rain water harvesting) करने के लिए व्यापक स्तर पर परियोजना चलाने का सुझाव दिया गया हो।

Answer

(i) परीक्षा भवन,
——– नगर।
दिनांक : 18.9.20…….
प्रिय मित्र सुमंत,
सप्रेम नमस्कार। आशा है तुम स्वस्थ एवं सानंद होंगे। आज मैं तुम्हें अपना ऐसा अनुभव बताने जा रहा हूँ जिसे मैंने अपने परिवार के साथ एक प्रदर्शनी में जाकर प्राप्त किया। मित्र! गत सप्ताह हमारे नगर में हस्तशिल्प की एक भव्य प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रदर्शनी पूरे सप्ताह चलने वाली थी, परंतु हम दूसरे ही दिन प्रदर्शनी देखने चले गए क्योंकि मुझे हस्तशिल्प के प्रति विशेष उत्साह था। मैं प्रदर्शनी में लोगों की कारीगरी देखकर दंग रह गया।
मैंने प्राचीन हस्तकला के ऐसे नमूने कभी नहीं देखे थे। सबसे बड़ा विस्मय इस बात पर हुआ कि ग्रामीण लोगों ने कूड़ा समझी जाने वाली तुच्छ वस्तुओं से सुंदर कालीन, पायदान, चित्र, पत्रिका-स्टैंड, फ्रेम, मेजपोश, टोकरियाँ, आसन-न जाने कितनी आकर्षक वस्तुएँ बना डाली थीं। शहतूत और बाँस की टहनियों से बनी वस्तुओं का तो रूप ही निराला था। वस्त्रों में रेशम, पशमीना व सूती कपड़ों पर भव्य कारीगरी दिखाई गई थी। हमने भी कुछ वस्त्र खरीदे और शाम होने पर घर आए। ऐसी ही प्रदर्शनी कभी फिर लगी, तो तुम्हें अवश्य सूचित करूँगा। तुम्हें बहुत आनंद आएगा।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क.ख. ग.

(ii)

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
नगरपालिका,
——- नगर।
विषय : नगर में बढ़ रहा जल संकट।
मान्य महोदय,
मैं इस पत्र द्वारा आपका ध्यान नगर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते जल संकट की ओर दिलाना चाहता हूँ। महोदय, हमारे नगर में जल सुविधाएँ नाममात्र हैं। प्रातः जल आपूर्ति पाँच से सात तक रहती है। दुपहर को आपूर्ति बंद रहती है। संध्या समय सात से आठ तक पानी आता है। जिन लोगों के घरों में हैंडपंप लगे हैं, उन्हें भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि जल-स्तर बहुत नीचे चला गया है। मेरी आपसे प्रार्थना है कि नगर में शिविर लगाकर लोगों को वर्षा के जल का संचयन करने की ओर प्रेरित किया जाए।
संभव हो तो ऐसी व्यवस्था करने के लिए अनुदान की भी कुछ-न-कुछ व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे लोगों को तो राहत मिलेगी ही, साथ ही साथ नगरपालिका के कार्य में भी सहजता आ सकेगी। राजस्थान के लोग वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) में अत्यंत दक्ष हैं। हमें उनसे प्रेरणा लेकर इस जल संकट का समाधान करना चाहिए।
सधन्यवाद।
भवदीय,
क. ख. ग.
207/40
न्यू शीतल नगर
——– प्रदेश
दिनांक : 20-06-20…….

Question 3.

Read the passage given below and answer in Hindi the questions that follow, using your own words as far as possible :
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा उसके नीचे लिखे गए प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए। उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए :
एक रियासत थी। उसका नाम था कंचनगढ़। वहाँ बहुत गरीबी थी। लोग कमज़ोर थे और धरती में कुछ उगता न था। चारों और भुखमरी थी। एक दिन राजा कंचनदेव राज्य की दशा से चिंतित हो उठे। अचानक उनके पास एक साधु आए। राजा ने उन्हें प्रणाम किया। राजा ने साधु को अपने राज्य के बारे में बताया और कुछ उपाय करने की प्रार्थना की। साधु मुस्कराकर बोले-“कंचनगढ़ के नीचे सोने की खान है।” इतना कहकर साधु चले गए। राजा ने खुदाई करवाई। वहाँ सोने की खान निकली। राजा का खजाना सोने से भर गया। राजा ने अपने राज्य में जगह-जगह मुफ़्त भोजनालय बनवाए, दवाखाने खुलवाए, चारागाह बनवाए तथा अन्य सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करा दिए। अब वहाँ कोई दुखी नहीं था।

सब लोग खुश थे। धीरे-धीरे लोग आलसी हो गए। कोई काम नहीं करता था। भोजन तक मुफ़्त में मिलने लगा था। मंत्री ने राजा को बहुत समझाया और कहा-“महाराज, लोग आलसी होते जा रहे हैं। उनको काम दिया जाए।” परंतु राजा ने मंत्री की बात को टाल दिया। कंचनगढ़ की समृद्धि को देखकर पड़ोसी रियासत के राजा को ईर्ष्या हुई। उसने अचानक कंचनगढ़ पर चढ़ाई कर दी और माँग की-“सोना दो या लड़ो।” कंचनगढ़ के आलसी लोगों ने राजा से कहा-“हमारे पास बहुत सोना है, कुछ दे दें। बेकार खून क्यों बहाया जाए?” राजा ने लोगों की बात मान ली और सोना दे दिया। कुछ दिनों बाद

उसी पड़ोसी राजा ने कंचनगढ़ पर फिर चढ़ाई कर दी। इस बार उसका लालच और बढ़ गया था। इसी प्रकार उसने कई बार चढ़ाई कर-करके कंचनगढ़ से सोना ले लिया। यह सब देखकर राजा का मंत्री बहुत परेशान हो गया। वह राजा को समझाना चाहता था, किंतु राजा के सम्मुख कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी। अंत में उसने युक्ति से काम लिया। एक दिन मंत्री कंचनदेव को घुमाने के लिए नगर के पूर्व की ओर बने गुलाब के बाग की ओर ले गया। राजा कंचनदेव ने देखा कि बाग में दाने बिखरे पड़े हैं।

कबूतर दाना चुग रहे हैं। थोड़ी दूर कुछ कबूतर मरे पड़े हैं। कुछ भी समझ में न आने पर राजा ने मरे हुए कबूतरों के बारे में मंत्री से पूछा। मंत्री ने बताया-“महाराज, इन्हें शिकारी पक्षियों ने मारा है।” राजा ने पूछा-“तो कबूतर भागते क्यों नहीं””भागते हैं लेकिन लालच में फिर से आ जाते हैं, क्योंकि उनके लिए यहाँ, आपकी आज्ञा से दाना डाला जाता है।”-मंत्री ने बताया। राजा ने कहा-“दाना डलवाना बंद कर दो।”

मंत्री ने वैसा ही किया। राजा अगले दिन फिर घूमने निकले। उन्होंने देखा कि दाना तो नहीं है, किंतु कबूतर आ-जा रहे हैं। राजा ने मंत्री से इसका कारण पूछा। मंत्री ने बताया-“महाराज, इन्हें बिना प्रयास के ही दाना मिल रहा था। यह अब दाने-चारे की तलाश की आदत भूल चुके हैं, आलसी हो गए हैं। शिकारी पक्षी इस बात को जानते हैं कि कबूतर तो यही आएँगे अतः वे इन्हें आसानी से मार डालते हैं।” राजा चिंता में पड़ गए। उन्होंने शाम को मंत्री को बुलाकर कहा”नगर के सारे मुफ़्त भोजनालय बंद करवा दो। जो मेहनत करे, वही खाए। लोग निकम्मे और आलसी होते जा रहे हैं। और हाँ, एक बात और। मैं अब शत्रु को सोना नहीं दूंगा, बल्कि उससे लड़ाई करूँगा। जाओ, सेना को मज़बूत करो।” मंत्री राजा की बात सुनकर बहुत खुश हो गया।
(i) राजा कंचनदेव की चिंता का क्या कारण था ? उन्होंने साधु से क्या प्रार्थना की?
(ii) साधु ने राजा को क्या बताया ? उसके बाद राजा ने राज्य के लिए क्या-क्या कार्य किए ?
(iii) पड़ोसी राजा के आक्रमण करने पर कंचनगढ़ का राजा क्या करता था और क्यों ?
(iv) कबूतरों की दशा कैसी थी? उस दशा को देखकर राजा ने क्या सीखा ?
(v) राजा ने मंत्री को क्या आदेश दिए ? आदेश सुनकर मंत्री की क्या स्थिति हुई ?

Answer :

(i) राजा की चिंता का कारण राज्य की गरीबी, लोगों की कमजोरी व चारों ओर फैली भुखमरी थी। उसने साधु से राज्य के विषय में चर्चा करके कुछ उपाय करने की प्रार्थना की।
(ii) साधु ने राजा को बताया कि उसके राज्य कंचनगढ़ के नीचे सोने की खान है। राजा ने खुदाई करवाकर सोना प्राप्त किया और अपने राज्य में मुफ़्त भोजनालय और दवाखाने खुलवा दिए। चरागाह बनवाए और अन्य सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करवाए।
(iii) पड़ोसी रियासत के राजा के आक्रमण करने पर राजा सोने का कुछ भाग दे देता था क्योंकि उसकी प्रजा लड़कर खून बहाने के स्थान पर कुछ सोना देने का विचार रखती थी, क्योंकि मुफ्त सुविधाएँ पाकर लोग आलसी हो चुके थे।
(iv) कुछ कबूतर दाना चुग रहे थे और कुछ मरे पड़े थे। राजा के पूछने पर मंत्री ने बताया कि कबूतर भागते नहीं क्योंकि वे दाने के लालची हो गए हैं। राजा की आज्ञा से उन्हें मुफ़्त दाना डाला जाता है। इस दशा को देखकर राजा को कर्म करने का महत्त्व समझ में आ गया और उसने दाना डलवाना बंद कर दिया।
(v) राजा ने मंत्री को आदेश दिए कि आलसी और निकम्मों के लिए स्थापित सारे मुफ़्त भोजनालय बंद कर दिए जाएँ। परिश्रम करने वाला ही खाए। अब शत्रु को सोना नहीं दिया जाएगा। सेना मज़बूत की जाए और लड़ाई करके शत्रु को परास्त किया जाए।

Question 4.

Answer the following according to the instructions given :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए :
(i) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के विलोम लिखिए : अपना, देव, नवीन, सम्मानित।
(ii) निम्नलिखित शब्दों में से किसी एक शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए : इच्छा, आदेश, शिक्षक।
(iii) निम्नलिखित शब्दों में किन्हीं दो शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए : सफेद, युवा, हिंसक, जागना।
(iv) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए : कवित्री, आशीरवाद, कृतग्य, विदूशी।
(v) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक की सहायता से वाक्य बनाइए : चंपत होना, डींग हाँकना।
(vi) कोष्ठक में दिए गए वाक्यों में निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए :
(a) प्राचीन काल में लोग पत्तों की बनी कुटिया में रहते थे। [रेखांकित का एक शब्द लिखते हुए वाक्य पुनः लिखिए]
(b) बीमार होने के कारण सुमन समारोह में नहीं आ सकी। [‘इसलिए’ का प्रयोग कर वाक्य पुनः लिखिए]
(c) बच्चे आम तोड़ने के लिए वृक्षों पर चढ़ गए थे। [वचन बदलिए]

Answer:
(i) पराया, दानव/राक्षस, प्राचीन, अपमानित।
(ii) इच्छा-अभिलाषा, कामना। आदेश-आज्ञा, हुकम, समादेश। शिक्षक-अध्यापक, आचार्य।
(iii) सफ़ेदी, यौवन, हिंसा, जागृति।
(iv) कवयित्री, आशीर्वाद, कृतज्ञ, विदुषी।
(v) चोर भरे बाज़ार में महिला का पर्स छीनकर चंपत हो गया। कर्म करने से सफलता मिलती है, डींग हाँकने से नहीं।
(vi) (a) प्राचीनकाल में लोग पर्णकुटी में रहते थे।
(b) सुमन बीमार थी इसलिए समारोह में नहीं आ सकी।
(c) बच्चा आम तोड़ने के लिए वृक्ष पर चढ़ गया था।

SECTION – B [40 Marks]

Attempt four questions from this Section

साहित्य सागर – संक्षिप्त कहानियाँ
(Sahitya Sagar – Short Stories)

Question 5.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :उसके अन्तस्तल में वह शोक जाकर बस गया था। वह प्रायः अकेला बैठा-बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा। विश्वेश्वर के पास जाकर बोला, “काका! मुझे एक पतंग मँगा दो।”
[‘काकी’ – सियारामशरण गुप्त]
[Kaki’-Siyaramsharan Gupt]

(i) ‘उसके’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? उसके दुखी होने का क्या कारण था? [2]
(ii) क्या देखकर उसका हृदय खिल उठा था ? उसने अपने पिता से क्या माँगा ? [2]
(iii) उसने उस चीज का प्रबंध कैसे किया ? क्या उसके इस कार्य को अपराध कहना उचित होगा ? समझाइए। [3]
(iv) विश्वेश्वर ने बालक के साथ कैसा व्यवहार किया ? संक्षेप में समझाते हुए उनके इस तरह के व्यवहार का – कारण तथा सच्चाई जानने के बाद की स्थिति का भी वर्णन कीजिए। [3]
Answer :
(i) ‘उसके’ शब्द का प्रयोग श्यामू के लिए किया गया है। उसके दुखी होने का कारण उसकी माँ की मृत्यु थी।
(ii) एक दिन श्यामू अकेला बैठा आकाश की ओर ताक रहा था तो उसने एक उड़ती पतंग देखी। पतंग देखकर उसका हृदय खिल उठा। उसने अपने पिता से एक पतंग माँगी।
(iii) पिता ने ‘हाँ’ करके भी श्यामू को पतंग लाकर नहीं दी तो उसने पिता के कोट से एक चवन्नी चुरा ली और सुखिया दासी के पुत्र भोला से पतंग मँगवा ली। यह कार्य चोरी के अपराध में आता है परंतु अपनी माँ के मोह में जकड़े श्यामू के लिए यह कतई अपराध न था।
(iv) विश्वेश्वर को अपने कोट से रुपया चोरी होने का पता चला तो वे श्यामू से पूछते हैं। डरकर भोला ने सारी कहानी बता दी। पिता ने श्यामू के दो तमाचे जड़ दिए और पतंग फाड़ डाली। परंतु जब उन्हें चोरी के कारण – का पता चला तो उनका सारा क्रोध शांत हो गया और उनके मन में पीड़ा जाग उठी।

Question 6.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :विदेशों में उसके चित्रों की धूम मच गयी। भिखारिन और दो अनाथ बच्चों के उस चित्र की प्रशंसा में तो
अखबारों के कॉलम के कॉलम भर गए। शोहरत से ऊँचे कगार पर बैठ चित्रा जैसे अपना सब कुछ भूल गयी।
[‘दो कलाकार’ – मन्नु भंडारी]
[‘Do Kalakar’-Mannu Bhandari]
(i) ‘उसके चित्रों’ से क्या तात्पर्य है ? समझाइए। [2]
(ii) चित्रा कौन थी ? उसके चरित्र की मुख्य विशेषता को बताइए। [2]
(iii) अरूणा कौन थी जब उसे भिखारिन वाली घटना का पता चला तो उसपर क्या प्रभाव पड़ा और उसने क्या किया ? [3]
(iv) चित्रकारिता और समाज सेवा में आप किसे उपयोगी मानते हैं और क्यों ? कहानी के माध्यम से समझाइए। [3]

Answer :

(i) ‘उसके चित्रों’ से तात्पर्य चित्रा द्वारा बनाए गए चित्रों से है। वह एक श्रेष्ठ कलाकार थी और उसके चित्रों का संबंध जीवन से न होकर केवल कला से था।
(ii) चित्रा धनी पिता की इकलौती बेटी है। उसका शौक चित्रकला है। उसमें मानवता और संवेदना की कमी है। उसकी दृष्टि कला को कला के लिए मानने वाली है।
(iii) अरूणा चित्रा की सहपाठिन सखी थी। उसके जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा है। वह भिखारिन की मृत्यु पर उसके दोनों बच्चों को अपना लेती है।
(iv) चित्रकारिता और समाजसेवा में निश्चित रूप से समाजसेवा उपयोगी है क्योंकि इसका संबंध मानवता से है। जो कला जीवन को महत्त्व न दे, वह कला नहीं है। कला और कलाकार वही सार्थक है जो अरूणा की तरह संवेदना से भरा हो। चित्र जैसा भौतिकवादी कलाकार मानवता के लिए व्यर्थ है।

Question 7.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा-“होगा कोई।” तीन गज की दूरी से दिख पड़ा, एक लड़का, सिर के बड़े-बड़े बाल खुजलाता चला आ रहा था। नंगे पैर, नंगे सिर, एक मैली-सी कमीज़ लटकाए है।
[अपना-अपना भाग्य’ – जैनेन्द्र कुमार]
[Apna-Apna Bhagya’-Jainendra Kumar]
(i) यहाँ पर किस बालक के संदर्भ में कहा गया है ? उस समय उसकी क्या स्थिति थी? [2]
(ii) बालक ने अपने घर-परिवार के संबंध में क्या-क्या बताया ?
(iii) इस समय उस बालक के सामने कौन-सी समस्या थी? क्या उस समस्या का हल हो पाया ? यदि नहीं तो क्यों? [3]
(iv) इस कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। [3]

Answer :

(i) यहाँ पर एक ऐसे निर्धन, असहाय और शोषित पहाड़ी बालक के विषय में कहा गया है जो बर्फ में ठिठुर कर दम तोड़ देता है। उसके सिर, पैर, नंगे थे। शरीर पर केवल एक मैली-सी कमीज़ थी।

(ii) बालक ने बताया कि वह गरीबी से तंग आकर नैनीताल भाग आया है। उसके माता-पिता पंद्रह कोस दूर गाँव में रहते हैं। उसके कई भाई-बहन और माँ-बाप भूखे रह रहे थे।
(iii) इस समय बालक के सामने रात काटने की और बर्फ के प्रकोप से बचने की समस्या थी। उसे उस दुकान पर से हटा दिया गया था, जहाँ वह काम करने के बाद सोता था। यह समस्या हल नहीं हो सकी क्योंकि वकील जैसे भद्रपुरुषों में मानवता नाम की कोई भावना नहीं थी।
(iv) प्रस्तुत कहानी द्वारा लेखक ने बताया है कि आज के लोगों में दया और मानवता की भावना शून्य होती जा रही है। लोग किसी विवश व अभावग्रस्त दुखी बालक पर दया नहीं दिखाते। वकील साहब जैसे लोग स्वार्थी, हृदयहीन और संवेदनहीन हैं। इसी निर्ममता ने बालक की जान ले ली।
साहित्य सागर – पद्य भाग
(Sahitya Sagar – Poems)

Question 8.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :”मैया मेरी, चंद्र खिलौना लेहौं।। धौरी को पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुथैहौं। मोतिन माल न धरिहौं उर पर झुंगली कंठ न लैहौं। जैहौं लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न ऐहौं।। लाल कहैहौं नंद बाबा को, तेरो सुत न कहैहौं।।”
[‘सूर के पद’- सूरदास]
[Sur Ke Pad’ – Surdas]
(i) प्रस्तुत पद्य में कौन अपनी माता से जिद कर रहे हैं ? वे क्या प्राप्त करना चाहते हैं ? [2]
(ii) उनकी माता कौन हैं ? वे अपने पुत्र को देखकर कैसा अनुभव कर रही हैं ? स्पष्ट कीजिए। [2]
(iii) खिलौना न मिलने की स्थिति में बाल कृष्ण अपनी माँ को क्या-क्या धमकियाँ दे रहे हैं ? स्पष्ट कीजिए। [3]
(iv) रूठे हुए बालक को बहलाने के लिए माँ क्या कहती है ? बालक पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है ? सूरदास जी की भक्ति भावना का परिचय देते हुए समझाइए। [3]

Answer :

(i) प्रस्तुत पद्य में कवि सूरदास ने वात्सल्य रस का चित्रण किया है। कृष्ण की बाल-लीला अद्भुत है। वे अपनी माता यशोदा से चाँद को खिलौने के रूप में माँग रहे हैं।
(ii) कृष्ण की माता यशोदा है। वे अपने पुत्र की बालसुलभ लीलाओं को देख-सुनकर मंत्रमुग्ध हो रही हैं। उन्हें अपने पुत्र के बाल हठ पर आनंद का अनुभव हो रहा है।
(iii) बाल कृष्ण अपनी माँ को दूध न पीने, चोटी न गुँथवाने, मोतियों की माला न पहनने, गले में झंगलि न पहनने धरती पर लेटने, गोद में न आने और यशोदा के स्थान पर नंद का पुत्र कहलाने की धमकियाँ दे रहे हैं।
(iv) यशोदा अत्यंत चतुराई से कृष्ण के कान में कहती हैं कि वे उसके लिए चंद्र से भी सुंदर दुलहन लाएँगी। माँ की यह रहस्य भरी बात सुनकर कृष्ण चंद्र रूपी खिलौना लेने का हठ भूल गए और तुरंत विवाह करवाने का हठ करने लगे। इस पद्य में सूरदास की वात्सल्य भाव की भक्ति का मनोरम वर्णन है।

Question 9.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :”न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव-मानव को चैन कहाँ धरती पर तब तक शांति कहाँ इस भव को ? जब तक मनुज-मनुज का यह सुख भाग नहीं सम होगा शमित न होगा कोलाहल संघर्ष नहीं कम होगा।”
[‘स्वर्ग बना सकते हैं’ – रामधारी सिंह ‘दिनकर’]
[‘Swarg Bana Sakte Hai’ – Ramdhari Singh ‘Dinkar’]
(i) ‘भव’ शब्द का क्या अर्थ है ? कवि के अनुसार इस भव में शांति क्यों नहीं है ?
(ii) शब्दों के अर्थ लिखिए-न्यायोचित, सम, सुलभ, कोलाहल।।
(iii) ‘शमित न होगा कोलाहल संघर्ष नहीं कम होगा’ पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
(iv) उपरोक्त पंक्तियाँ ‘दिनकर जी’ की किस प्रसिद्ध रचना से ली गई हैं ? कविता का केंद्रीय भाव लिखते हुए बताइए। [3]

Answer:

(i) ‘भव’ शब्द का अर्थ है-संसार । कवि का विचार है कि जब तक मनुष्य को धरती पर न्यायसंगत सुख प्राप्त नहीं होते, तब तक संसार में शांति संभव नहीं।
(ii) न्याय की दृष्टि से उचित, समान, सुगम रूप से उपलब्ध, शोर।
(iii) इस पंक्ति का अर्थ है कि जब तक संसार में समाज-सापेक्ष दृष्टि नहीं उपजती, तब तक संघर्ष और असंतोष का शोर कम नहीं होगा।
(iv) प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध रचना ‘कुरुक्षेत्र’ से ली गई हैं। इस कविता का केंद्रीय भाव समतावाद से जुड़ा हुआ है। कवि का विचार है कि यदि हम प्रकृति द्वारा दी गई वस्तुओं व उपहारों का समान रूप से उपभोग करें तो यह धरती स्वर्ग बन सकती है और संघर्ष मिट सकते हैं।

Question 10.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :जन्मे जहाँ थे रघुपति जन्मी जहाँ थी सीता। श्री कृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता। गौतम ने जन्म लेकर जिसका सुयश बढ़ाया। जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।। “मा जहा था साता। वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी। वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
[‘वह जन्मभूमि मेरी’-सोहनलाल द्विवेदी]
[Wah Janamabhumi Meri’-Sohanlal Dwivedi]
(i) प्रस्तुत कविता किस प्रकार की है इस कविता में किसका गुणगान किया गया है ?
(ii) कवि ने भारत को युद्धभूमि और बुद्धभूमि क्यों कहा है ? समझाकर लिखिए।
(iii) प्रस्तुत कविता में जन्मभूमि की किन-किन प्राकृतिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है ? स्पष्ट कीजिए। [3]
(iv) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारत को किन-किन महापुरुषों की भूमि कहा है ? कविता का केंद्रीय भाव लिखते हुए स्पष्ट कीजिए। [3]

Answer :

(i) प्रस्तुत कविता देश-प्रेम से भरपूर कविता है। इसमें कवि ने भारतवर्ष की भूमि की प्रमुख विशेषताओं का गुणगान किया है।
(ii) कवि ने भारत को बुद्ध के कारण दया व अहिंसा का पुजारी स्वीकार किया है और इसे बुद्धभूमि कहा। दूसरी ओर आत्मसम्मान व मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार रहने वाले रण-बाँकुरों की ओर संकेत करके इसे युद्धभूमि कहा है।
(iii) प्रस्तुत कविता में जन्मभूमि को हिमालय की ऊँचाई, सिंधु की विशालता, गंगा, यमुना और त्रिवेणीजी की पवित्रता जैसी प्राकृतिक विशेषताओं के साथ जोड़ा है।
(iv) प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत को राम-सीता, कृष्ण, गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों की भूमि कहा है। कवि के अनुसार यह जन्मभूमि आदर्शों, कर्मशीलता, मानवता और ममतामयी पवित्रता से जुड़े महापुरुषों की भव्य भूमि है।
नया रास्ता – (सुषमा अग्रवाल)
(Naya Raasta – Sushma Agarwal)

Question 11.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :”मीनू…….अरे मीनू कैसे कर सकती है ? यह रस्म तो शादीशुदा बहन ही कर सकती है। मीनू की तो अभी शादी भी नहीं हुई।”
(i) उपर्युक्त कथन की वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए। [2]
(ii) वक्ता ने क्यों कहा कि मीनू यह रस्म नहीं कर सकती ? यहाँ किस रस्म की बात हो रही है ? [2]
(iii) वक्ता की बात सुनकर मीनू तथा मीनू की माँ की स्थिति का वर्णन करते हुए बताइए कि क्या उसके द्वारा वह रस्म पूरी की गई थी ? स्पष्ट कीजिए। [3]
(iv) “एक अविवाहित स्त्री को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता।” उपन्यास के आधार पर अपने विचार लिखिए। [3]

Answer :

(i) प्रस्तुत कथन की वक्ता मीनू की बुआ है। वह परंपराओं से चिपकी हुई स्त्री है। रीति-रिवाज़ों के नाम पर उसके विचार बहुत पुरातन हैं। वह रीति के नाम पर किसी को भी चोट पहुँचा सकती है।
(ii) मीनू की छोटी बहन आशा की शादी हो रही थी। एक रस्म के अनुसार बड़ी बहन को आरती उतारनी थी। परंतु मीनू की अभी तक शादी नहीं हुई थी। अतः वह बड़ी बहन होकर भी इस रस्म को नहीं निभा सकती थी।
(iii) बुआ की बात सुनकर मीनू की माँ ने दृढ़ता का परिचय दिया और निर्णय सुनाया कि मीनू ही वह रस्म निभाएगी। अतः पुरातनपंथी का विरोध करते हुए व्यवहारवादी दृष्टि अपनाई गई। विरोध व कटाक्ष की उपेक्षा करके मीनू ने आरती उतारी।
(iv) हमारा समाज अविवाहित स्त्री को सम्मान देने के पक्ष में नहीं रहा है। परंतु आज युग व दृष्टि बदल रही है। शिक्षित स्त्रियाँ प्रायः देरी से शादी करती हैं। वे पहले अपने आधार को सुदृढ़ करना चाहती हैं। उनके विचार विवाह के संदर्भ में बदलते जा रहे हैं।

Question 12.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गदयांश को. पढिए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :आखिर सरिता को देखने का दिन आ ही गया। अमित के घर में विशेष चहल-पहल थी। अमित की माताजी में विशेष उत्साह नजर आ रहा था। माताजी के कहने में आकर उसके पिता भी इस रिश्ते में रुचि लेने लगे थे। अमित की बहन मधु भी अपनी होने वाली भाभी को देखने के लिए उत्सुक थी।
(i) अमित कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(ii) विशेष चहल-पहल का क्या कारण था, इस अवसर पर अमित की स्थिति स्पष्ट कीजिए। [2]
(iii) मायारामजी को स्वर्ग की अनुभूति कहाँ और कैसे होती है और क्यों होती है ?
(iv) अमित और सरिता के बीच हुई बातचीत को संक्षेप में लिखिए।

Answer:

(i) अमित मीनू को देखने आता है। उसकी माँ दहेज की लोभी है, परंतु वह विवाह के संदर्भ में व्यवहारवादी व मानवतावादी विचार रखता है। उसको दहेज जैसी कुप्रथा के प्रति घृणा है। इसीलिए वह अपनी माँ से धनीमल जैसे धनियों से रिश्ता तय न करने की बात करता है।
(ii) विशेष चहल-पहल का कारण यह था कि अमित के लिए सरिता को देखने का दिन आ गया था। मीनू और उसके माता-पिता को अमित के माता-पिता ने टालमटोल भरा पत्र लिख दिया था। वे धन की चकाचौंध में आ चुके थे। परंतु अमित इन लोगों के विपरीत उदास व चिंतित था।
(iii) धनीमल की कोठी पर पहुँचते ही मायाराम को लगा, जैसे वे स्वर्ग में आ गए हों। सबका विशेष स्वागत किया गया। धन की चमक ने मायाराम का मन मोह लिया।
(iv) अमित और सरिता की भेंट में सरिता ने बताया कि उसे घर के कामकाज में विशेष रुचि नहीं है। पिताजी शादी के बाद एक नौकर साथ भेज देंगे और सारा काम वही करेगा।

Question 13.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :मीनू के हृदय में बचपन से ही अपंगों के लिए दया की भावना थी परंतु मनोहर को तो वैसे भी वह बचपन से जानती थी। इसीलिए उसकी यह हालत उससे देखी नहीं जा रही थी। मीनू ने मन ही मन निश्चय दिया कि वह किसी न किसी रूप में मनोहर की सहायता अवश्य करेगी। विवाह के फालतू खर्च में से कुछ रुपये बचाकर अपाहिज मनोहर की सहायता करने का उसने संकल्प लिया।
(i) मनोहर कौन था ? वह मीनू के पास क्यों आया था ?
(ii) उसकी यह दशा कैसे हो गयी थी ? संक्षेप में समझाइए।
(iii) मीनू ने मन ही मन क्या निश्चय किया और मनोहर की सहायता कैसे की ?
(iv) मीनू के इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? क्या आपने भी कभी किसी की इस प्रकार से सहायता की है समझाइए।

Answer:

(i) मनोहर राजो का चचेरा भाई है। वह मीनू के पास उसके विवाह में हाथ बँटाने आया है।
(ii) मनोहर को एक फैक्ट्री में नौकरी मिली थी। काम करते हुए उसका पैर मशीन में आ गया। साथ ही सीधे हाथ की दो अंगुलियाँ भी कट गईं।
(iii) मीनू के मन में बाल्यकाल से ही अपंगों के प्रति विशेष दया-भावना थी। उसने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह विवाह के खर्च से कटौती करके असहाय मनोहर की सहायता करेगी। उसने विचार-विमर्श के बाद उसे पान की दुकान खुलवा देने का निर्णय श्रेष्ठ लगा और उसने दुकान खुलवाकर उसका जीवन सुधार दिया।
(iv) मीनू का यह त्याग और अपंग-प्रेम निश्चित रूप से आदर्श और अनुकरणीय है। हम सभी को शादी में इस प्रकार के व्यर्थ खर्च की कटौती करके उन दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए। मैंने तो नहीं, परंतु मेरे पिता जी ने एक अपंग विधवा को फोन-बूथ खुलवा कर दिया था जिसके बाद उसका जीवन सहज हो गया था।
एकांकी संचय
(Ekanki Sanchay)

Question 14.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :अब भी आँखें नहीं खुली ? जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए दूसरों से चाहते हो वही दूसरे की बेटी को भी दो। जब तक तुम बहू और बेटी को एक-सा नहीं समझोगे, न तुम्हें सुख मिलेगा, न शांति।
[‘बहू की विदा’-विनोद रस्तोगी]
[Bahu Ki Vida’-Vinod Rastogi]
(i) वक्ता का परिचय देते हुए कथन का संदर्भ लिखिए। [2]
(ii) “अब भी आँखें नहीं खुली ?” कहने से वक्ता का क्या अभिप्राय है ? पाठ के संदर्भ में समझाइए। [2]
(iii) एकांकी के अंत में श्रोता क्या फैसला लेता है और क्यों ? समझाइए। [3]
(iv) इस एकांकी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? एकांकी के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। [3]

Answer:

(i) प्रस्तुत कथन की वक्ता राजेश्वरी है। वह जीवनलाल नामक एक धनी व्यापारी की पत्नी है। प्रस्तुत कथन उस समय का है जब जीवनलाल की बेटी के ससुराल वाले उसे राखी के अवसर पर मायके भेजने से मना कर देते हैं।
(ii) ‘अब भी आँखें नहीं खुली’-का अभिप्राय यह है कि जीवनलाल हठी और लोभी है। वह धन के लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को राखी के अवसर पर मायके नहीं भेजता। इधर उसकी अपनी पुत्री के ससुराल वाले जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो समाचार पाकर आँखें खुलने की चर्चा हो रही है।
(iii) एकांकी के अंत में जीवनलाल का हृदय परिवर्तन हो जाता है। अपनी पुत्री के साथ वैसा ही व्यवहार होते देख उसकी आँखें खुल गईं और उसने बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय ले लिया।
(iv) प्रस्तुत एकांकी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें बहू के रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते।

Question 15.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :आपके विवेक पर सबको विश्वास है। मैं आपसे निवेदन करने आई हूँ कि यद्यपि समय के फेर से आज हाड़ा, शक्ति और साधनों में मेवाड़ के उन्नत राज्य से छोटे हैं, फिर भी वे वीर हैं। मेवाड़ को विपत्ति के दिनों से सहायता देते रहे हैं। यदि उनसे कोई धृष्टता बन पड़ी हो, तो महाराणा उसे भूल जाएँ और राजपूत शक्तियों में स्नेह का संबंध बना रहने दें।
[‘मातृभूमि का मान’-हरिकृष्ण ‘प्रेमी’]
[‘Matribhoomi Ka Man’-Harikrishna ‘Premi’]
(i) प्रस्तुत कथन किसने, किससे कहा है ? स्पष्ट कीजिए। [2]
(ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। [2]
(iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। [3]
(iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए। [3]

Answer :

(i) प्रस्तुत संवाद चारणी ने महाराणा लाखा से कहा है। वह मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा के सेना के सैनिक वीरसिंह की साथी है जो बूंदी का रहने वाला है।
(ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है।
(iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
(iv) प्रस्तुत एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह की गाथा अमर हो गई।

Question 16.

Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी में लिखिए :बेटा, बड़प्पन बाहर की वस्तु नहीं-बड़प्पन तो मन का होना चाहिए। और फिर बेटा घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता। बहू तभी पृथक होना चाहेगी जब उसे घृणा के बदले. घृणा दी जाएगी। लेकिन यदि उसे घृणा के बदले स्नेह मिले तो उसकी समस्त घृणा धुंधली पड़कर लुप्त हो जाएगी।
[‘सूखी डाली’-उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’]
[Sukhi Dali’-Upendranath Ashka’]
(i) प्रस्तुत कथन का वक्ता कौन है ? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए। [2]
(ii) श्रोता ने वक्ता को छोटी बहू के संबंध में क्या बताया था ? [2]
(iii) वक्ता ने परिवार में एकता बनाए रखने का क्या उपाय निकाला ? क्या वे इसमें सफल हुए ? स्पष्ट कीजिए। [3]
(iv) प्रस्तुत एकांकी किस प्रकार की एकांकी है ? इस एकांकी लेखन का क्या उद्देश्य है ? [3]

Answer:

(i) प्रस्तुत कथन के वक्ता दादा हैं जिनका नाम मूलराज है। वे परिवार के मुखिया हैं।
(ii) श्रोता परेश दादा मूलराज से कहता है कि छोटी बहू बेला का इस घर में मन नहीं लगता। उसे घर का कोई भी सदस्य पसंद नहीं करता। सभी उसकी निंदा करते हैं। अत: वह स्वतंत्र घर बसाकर रहना चाहती है।
(iii) वक्ता ने परिवार में एकता बनाए रखने के लिए परेश को सुझाव दिया कि वह बेला को साथ ले जाकर बाज़ार से उसकी पसंद की चीजें खरीदवा दे। वे यह भी कहते हैं कि वे घर में सभी को समझा देंगे कि कोई भी बेला का अपमान नहीं करेगा। वे इसमें सफल होते हैं क्योंकि घर के सभी सदस्य बेला को अधिक सम्मान देने लगते हैं जिसकी प्रतिक्रिया में छोटी बहू को बदलना पड़ता है।
(iv) प्रस्तुत एकांकी एक पारिवारिक एकांकी है जिसमें उपेंद्रनाथ अश्क ने संदेश दिया है कि यदि दूरदर्शिता, सूझबूझ और व्यावहारिकता से काम लिया जाए तो पारिवारिक समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखने से हमारे परिवार बिखरने से बचाए जा सकते हैं।

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